बडी दूर से
आये हैं ....
मझधार मे
नांव मेरी , नाथ तू पार लगा देना..
पतवार नही
चलती , तू नैय्या पार लगा देना...
मैं चला था
बेखबर, अरमानो के सफर पर
चाहतों की आस
मे, अफसानो के डगर पर
करता
रहा....... मनमानी जिन्दगी भर
मैं
हारा..... मैं हारा.....
मैं हारा
फंसके बीच भंवर, नाथ तू पार लगा देना..
मेरा जीवन
बीता है, लोभ लालच की लहर में
नही आया याद
तू, मोह माया की बसर में
फंसता
रहा....... मै पापो के नगर में
तू मेरा
..... तू मेरा .....
एक सहारा है, तु नैय्या पार लगा देना...
मझधार मे
नांव मेरी , नाथ तू पार लगा देना..
पतवार नही
चलती , तू नैय्या पार लगा देना...
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