Monday, June 15, 2015

तू अंतरयामी है

उड जा काले कांवा....

तेजोमय मुखमंडल चमके, काया कंचनवान
राज सिंहासन, आज बिराजे, जिन शाशन की शान
प्रगट प्रभावी जिनवर मेरे, अनंत गुणो की खान
दो शब्दो में कैसे कर सकता हुं तेरा बखान
तू अंतरयामी है, हमारा स्वामी है
तू अंतरयामी है, हमारा स्वामी है

करुणा सागर नाथ निरंजन, तू सबका स्वामी.... हो..ओ..ओ..ओ
करुणा सागर नाथ निरंजन, तू सबका स्वामी
अरज सुणोजी मेरी भी अब, मोक्षनगर गामी
तेरे दर पर आनेपाला पाये शीवसुख धाम
मुझको भी चाहत है पाऊ ऐसा कोई अंजाम
तू अंतरयामी है, हमारा स्वामी है
तू अंतरयामी है, हमारा स्वामी है

ओ....ओ....ओ....ओ....हो...  ओ....ओ....ओ....ओ....हो
आ....आ....आ....आ....आ

तेरी भक्ति मे निशदिन मैं, महिमा तेरी गांऊ...हो..ओ..ओ..ओ..
तेरी भक्ति मे निशदिन मैं, महिमा तेरी गांऊ
भजनो मे हरपल तुझको मै, मिन्नत करुं..रिझाऊं
बात नही बनती मेरी क्यों ? कैसे मै समझाऊं
एक बार सुन ले ओ भगवन, पडुं मै तेरे पांव
तू अंतरयामी है, हमारा स्वामी है
तू अंतरयामी है, हमारा स्वामी है

तेजोमय मुखमंडल चमके, काया कंचनवान
राज सिंहासन, आज बिराजे, जिन शाशन की शान
प्रगट प्रभावी जिनवर मेरे, अनंत गुणो की खान
दो शब्दो में कैसे कर सकता हुं तेरा बखान
तू अंतरयामी है, हमारा स्वामी है
तू अंतरयामी है, हमारा स्वामी है                                                                                                                                                                    

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